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बढार क्या है?जानिए बारीकी से।

 नमस्कार दोस्तों आशा है आप अच्छे होंगे।और अपने आप का ख्याल रख रहे होंगे। दोस्तों आज के आर्टिकल भी आपको बहुत ही जानकारी देने वाला है। दोस्तों वैसे तो आजकल लोग आर्टिकल उतना नहीं पड़ते। लेकिन फिर भी आर्टिकल पढ़ना एक अच्छा चीज है।मैं भी कभी-कभी इंटरनेट में मौजूद ज्ञानवर्धक आर्टिकल पढ़ते रहता हूं।

 बहरहाल ये टॉपिक पर आता हूं। आज जिस विषय पर हम चर्चा करने वाले हैं वह राजस्थान से जुड़ी हुई है। जी हां दोस्तों राजस्थान भारत का सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला राज्य है। जहां पर मौजूद थर मरुस्थल दुनिया भर में मशहूर है। आज उसी राजस्थान के परंपरा के बारे में आज हम जानने वाले हैं।
 
 जी हां दोस्तों, वह क्या चीज है आप शायद टाइटल पढ़कर ही जान चुके होंगे।जी हां आपने सही पड़ा है। बढार!
 दोस्तों बढार एक शब्द है जो ज्यादातर राजस्थान में ही कहा जाता है।
बढार के बारे में आज हम विस्तार से जानने वाले हैं और भी चीजें पढ़ने वाले हैं। तो अगर आप इस आर्टिकल में से जानकारी लेना चाहते हैं तो जरूर इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।नहीं तो आपके मन में कन्फ्यूजन रह जा सकती है।तो चलिए शुरू करते हैं।
भी कंफ्यूजन ना रहे।तो चले शुरू करते हैं।

बढार क्या है?

बढार से जुड़ी कुछ सवाल जबाब
बढार क्या है?

राजस्थान जोकि भारत के उत्तर पश्चिम में बसा हुआ एक राज्य है।राजस्थान के संस्कृति बहुत ही समृद्धशाली है।भारत की जो एक ऐतिहासिक विरासत है।उसमें राजस्थान की एक बहुत बड़ा भूमिका है।

अगर बहुत अतीत की बात करें तो सिंधु सभ्यता में राजस्थान के बहुत सारे जगह का उल्लेख मिलता है। राजस्थान को पहले पहले ब्रिटिश समय काल के दौरान राजपूताना नाम से जाना जाता था।और तो और वाल्मीकि जी ने भी इस स्थल को मरुकान्तार नाम रखा था। और त और दोस्तों ब्रिटिश ओ ने इस प्रदेशों का नाम रायथान भी रखा था।26 जनवरी, 1950 को इस प्रदेश का नाम राजस्थान स्वीकृत किया गया।

 राजस्थान में बहुत से ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है जो कि विश्व विख्यात है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से लोग राजस्थान घूमने आते हैं।

राजस्थान बहुत ही महाराजा के जन्मस्थली भी रहा है।आप महाराणा प्रताप जी को तो जानते ही होंगे।उनका जन्म राजस्थान में ही हुआ था। और त और दोस्तों राजा दुर्गादास राठौड,राव जोधा,जयमल, और महाराणा सांगा,महाराजा सूरजमल, अमरसिंह राठौड़, पाबूजी, गोगाजी,वीर तेजाजी जैसे राजाओं की जन्म भी यहां हुआ था।

दोस्तों सिर्फ राजस्थान को ऐतिहासिक धरोहर के लिए ही मशहूर नहीं है। राजस्थान के नाम वहांके संस्कृति, रीति रिवाज और परंपरा के लिए भी बहुत जोरो शोरो से लिया जाता है। वैसे अगर आप भारत के किसी भी हिस्से में जाएंगे तो आपको अलग-अलग रीति रिवाज, अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलेंगे।और यह भारत का एक तरह से ताकत भी है।अनेकता में एकता, यही भारत है।

आज के आर्टिकल में जो हम बढार का बात करने वाले हैं। वह भी राजस्थान के एक रीति रिवाज का ही हिस्सा है।

बढार का मतलब


जी हां दोस्तों बढार राजस्थान के संस्कृति और रीति रिवाज का ही एक प्रमुख हिस्सा है। राजस्थान में शादी के अगले दिन वर पक्ष  की तरफ से दावत दी जाती है।ये दावत राजस्थान के विवाह संबंधी रीति-रिवाजों में से एक है। इसिको बढार की दावत कहा जाता है।

बढार एक प्रमुख रीती हैं।जो राजस्थान में बिबाह संबंधी एक परंपरा है।

बढार क्या है ये सवाल बहुत ही पूछा जाता है सरकारी नौकरी के परीक्षा में।खासकर राजस्थान के किसी सरकारी नौकरी के परीक्षा में इसके बारे में पूछा जाता है। दोस्तों अगर आप राजस्थान में नहीं रहते हैं,भारत के किसी भी हिस्से में रहते हैं तो भी शायद आपको यह पढ़कर अच्छा लगा होगा। क्योंकि राजस्थान के रीति-रिवाजों और संस्कृति को जानना भी एक तरह से भारत को जानना ही होता है।

बहरहाल आपने ऊपर जाने की बढार एक दावत है जो वर पक्ष की ओर से दिया जाता है।

बढार से जुड़ी कुछ सवाल जबाब


1) बढार क्या है?
उत्तर:- शादी के अगले दिन वर पक्ष की तरफ से दावत दी जाती है,इसी को बढार कहां जाता है।

2) बढार कहां का रीति रिवाज है?
उत्तर:- ये राजस्थान का है।

3) राजस्थान के राजधानी कहां है?
उत्तर:- जयपुर।
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Conclusion


आपको यहां राजस्थान के इस परंपरा के बारे में जानने को मिला।हो सकता है आपको बढार क्या है इसको विस्तार से समझने को मिला।शायद आप इस आर्टिकल से कुछ ना कुछ जरूर सीखे होंगे।

आशा है आपको ये आर्टिकल पढ़कर अच्छा लगा होगा।अगर सच में आप इस आर्टिकल को पढ़कर कुछ नए जानकारी पाए हैं या आपको ये आर्टिकल बोहोत ही सहयता की तो आप इस आर्टिकल सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें ताकि और लोगो को भी ये जानकारियां आसानी से पता चल सके।

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तो आजके लिए इतना ही आपसे फिर मुलाकात होगा एक नए और Knowledgefull पोस्ट के साथ।तब तक के लिए खुश रहिए और मजे में रहिए।
                          जय हिंद
                                 बंदे मातरम