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कलियुग में भगवान को कैसे प्राप्त करें? ईश्वर की प्राप्ति कलियुग में।

 नमस्कार दोस्तो आशा है आप अच्छे होंगे और अपने आप का ख्याल रख रहे होंगे। बोहोत दिन बाद हम फिर Articles लिख रहे हैं।हमने यहां बोहोत से आर्टिकल लिखा है आप चाहे तो पढ़ सकते हैं।

जी हां आपने टाइटल में सही पढ़े हैं आज हम कलियुग में भगवान को कैसे प्राप्त किया जा सकता है उसीके बारे में बात करने वाले हैं।


हमने इस आर्टिकल को लिखने के लिए बोहोत से रिसर्च किए और फिर हमें जो जो चीज अच्छा लगा हमने वो सबको यहां लिखने का सोचा।


"कलियुग में भगवान को प्राप्त करना" का मतलब है कि इस युग में आध्यात्मिक या धार्मिक उद्देश्य को प्राप्त करना है।जो आज के समय असंभव या कहे चुनौतीपूर्ण माना जाता है। 


हिंदू धर्म के अनुसार, चार युगों (सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग) में से अंतिम युग है कलियुग। जिसमें नैतिकता और धार्मिकता में गिरावट आती है और लोग पशु के तरह हो जाते हैं।

 इस युग में भगवान को पाना बड़ा ही मुश्किल होगा किसी के भी लिए।ऐसे में हमने कुछ चीज लिखने की कोशिश किए हैं जिससे सही में कोई भी व्यक्ति कलियुग में रहकर ईश्वर की अनुभूति कर सकती है।

कलयुग में भगवान को कैसे प्राप्त करें?

कलयुग में भगवान को कैसे प्राप्त करें?
कलियुग में भागवत प्राप्ति

बोहोत लोगो के मुंह से आप दो बात जरूर सुने होंगे।इस जमाने में भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती,इसके लिए संसार को छोड़ना पड़ सकता है।


ये चीज पूरी तरह से सत्य नही है।भगवान को पाने के लिए आपको सब छोड़ छाड़ कर हिमालय नही जाना पड़ेगा।

हालांकि ये भी सत्य है की हिमालय में ऐसे योगी रहते है जिनको भगवान की अनुभूति हो चुकी है और हो रहा हो।


लिकिन आप संसार में रह कर भी भगवान को पा सकते हैं।

इसके लिए आपको कही दूर जानेकी जरूरत नहीं पड़ेगी।हमने रिसर्च करके कुछ ऐसे चीज पाए हैं जो किसी भी व्यक्ति को चाहे वो कोई भी हो उसे भगवान है इसका अनुभूति करा सकता है।

कुछ नियम भी है और कुछ काम भी है जो अगर आप करते हैं तो आपको जरूर एक न एकदीन भगवान की प्राप्ति हो कर रहेगी।


कलियुग में भगवान को प्राप्त करने के लिए ये है जरूरी


भक्ति और सच्ची श्रद्धा


आप एक बार सोच कर देखे सारी दुनिया में सिर्फ और सिर्फ इंसान की पास ही मन बोलकर कुछ चीज होती है। बाकी किसी भी जीव में कोई भी मन बोल कर कुछ नही होता।

अगर श्रीमदभागवत गीता की माने तो मनुष्य जीवन में सिर्फ एक कर्म ही नियत कर्म है वो है ईश्वर की आराधना,ईश्वर की भक्ति।


अब आपको इस मन उसी को तरफ लगाना है।और लगाते ही रहना है।मुश्किल ए आएंगी लिकिन आपको इंद्रिय से ऊपर उठकर ईश्वर की प्रति भक्ति और श्रद्धा को कभी कम नहीं करना है।

बल्कि बढ़ाते जाना है और बढ़ाते जाना है।

 

गीता में स्वयं भगवान बोल रहे हैं की भगवान की सच्ची भक्ति और श्रद्धा से ही भगवान की प्राप्ति संभव है। मन, वचन, और क्रिया से भक्ति में स्थिर रहना महत्वपूर्ण है।


 प्रार्थना और पूजा


जिंदगी में कभी ईश्वर को पाना है तो प्रार्थना और पूजा को कभी भी कम मत कीजेगा।

आप किसी भी धर्म उठा कर देख लीजे आपको हर एक में ये चीज जरूर मिलेंगे।चाहे हम किसी भी ईश्वर का पूजा क्यूं ना कर रहे हों। हमें प्रार्थना और पूजा करते रहना है।


इसे जीवन एक अभिन्न अंग बना कर इसे अभ्यास में परिवर्तित करना होगा।आध्यात्मिक चेतना जागृत करने के लिए आपको ये अवश्य करना चाहिए।

आगर आप हमारे सनातन धर्म को देखेंगे तो वो भी एक जिंदगी जीने का तरीका ही है जिससे ईश्वर प्राप्ति होती हैं।


नियमित प्रार्थना और पूजा से आध्यात्मिक उन्नति संभव होती है।


सत्संग और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन


सत्संग बोहोत ही जरूरी चीज है भगवान को पाने के लिए।संतों और पवित्र लोगों के साथ संगति करने से धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।

आज कल तो social media का जमाना है,आपको जो भी संत अच्छे लगते हो आप उनके विडियोज देख सकते हैं,सुन सकते हैं।


ईश्वर की प्राप्ति के लिए आपको पढ़ना भी जरूरी है।ईश्वर की जुड़ी किताबे आपको हर रोज पढ़ना चाहिए। 

सनातन हिंदू धर्म में आपको चार वेद ,१८ पुराण और बोहोत उपनिषद मिल जायेंगे जो की ईश्वर प्राप्ति में आपको बोहोत मदद कर सकता है।


खास कर आपको भिन्न भिन्न संत के उपदेश भी पढ़ने चाहिए।

अगर मुझसे कहेंगे तो आपको स्वामी विवेकानंद जी का हर एक किताब पढ़ना चाहिए।

खास कर ज्ञान योग,भक्ति योग,कर्म योग ऐसे किताबे हैं जो आपको इसी संसार में रहकर ईश्वर की प्राप्ति के लिए मदद करेंगे।अगर आप एक तर्क मानते हैं और हर चीज को विज्ञान से देखते हैं तो आपकी ये किताब जरूर अच्छे लगेंगे।


सेवा और दान


भगवान दुनिया के हर एक परमाणु में हैं।आप में है और मुझमें भी है।इसी भाव के ले कर के आपको सेवा और दान में भी कार्य करने पड़ेगा।


 समाज की सेवा, गरीबों की मदद, और दान करना भी आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है।

हर एक धर्म में दान देना भी बोहोत ही महत्वपूर्ण बताया गया है।


कलियुग दान देना चल रहा है लिकिन वो भी अपने स्वार्थ के लिए।आजकल लोग आर कंबल भी किसीको देते हैं तो सेल्फी खींच लेते हैं और वीडियो बना लेते हैं ताकि सोशल मीडिया में उनका नाम हो उनको लाइक मिले।


लिकिन दान हमेशा भगवान प्राप्ति के लिए ही की जाना चाहिए। खुदको बड़ा दिखाने के लिए नही।


स्वच्छता और ईमानदारी


 ईमानदारी एक ऐसी चीज जो किसी भगवान के प्रिय व्यक्ति में ही हो सकता है।

भगवान को पाने के लिए आपको सबसे पहले ईमानदार होना ही पड़ेगा।

सत्य वचन,अहिंसा ये दोनो चीज ईमानदार व्यक्ति का रगो में होता है।सच्चाई, नैतिकता, और उचित आचरण का पालन करना, जैसे कि धोखाधड़ी और असत्य से बचना बोहोत ही जरूरी महत्वपूर्ण गुण है।


आपको भी अपने सामाजिक,व्यक्तिगत जीवन में ईमानदार रहना है।

और तो और आपको अपनी बाहरी और आंतरिक स्वच्छता के ऊपर भी ध्यान रखना है।

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बोहोत बड़े महापुरुष एकबार कहा था जिस जगह पर स्वच्छता नही रहता उस जगह पर भगवान भी नही आते।


ये आपके बाहरी और आंतरिक जीवन में भी फिट बैठती है।आपको स्वच्छता हर कीमत पर रखना है।


साधना और ध्यान


बोहोत ही जरूरी और महत्वपूर्ण चीज है ये।ये आपको भगवान के बोहोत पास ले जाता है। 

श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार एक ही नियत कर्म है वो है ॐ का जाप और मेरी ध्यान यानी श्री कृष्ण की ध्यान।

अगर आप श्री शिव महापुराण पढ़ेंगे तो भी आपको रुद्र संहिता में लिखा हुआ बोहोत ही बारीक चीज जानने को मिलेगा।जी हां वो है जगत की सृष्टि से जुड़ा हुआ बातें।और जगत से सृष्टि से जुड़ा है ॐ की ध्वनि।


श्री शिव महापुराण में ॐ मंत्र उच्चारण बोहोत ही लाभदायक कहा गया है।

ॐ मंत्र को प्रणब मंत्र कहा गया है।


 इसलिए नियमित योग और ध्यान के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के बीच एक गहरा संबंध स्थापित किया जा सकता है।

और तो और ये साधना और तपस्या से आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है और भगवान की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।


सच्चे गुरु की प्राप्ति

 

गुरु सनातन धर्म में एक बोहोत बड़ा शब्द है।भगवान के प्राप्ति के लिए आपको एक गुरु जरूरी है।


एक सच्चे गुरु की सहायता से मार्गदर्शन प्राप्त कर, भगवान की प्राप्ति की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है।


आपको जो भी गुरु पसंद आता हो ,आपको उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए।


आप चाहे तो गुरु से दीक्षा भी ले सकते हैं।और उनके दिए हुए मंत्र से आपको अपने लक्ष्य में जाना आसान होगा।


इन उपायों को अपनाकर और सच्चे मन से प्रयास करके, कलियुग में भी भगवान की प्राप्ति संभव है। मुख्य बात यह है कि मन और कर्म से सच्ची श्रद्धा और प्रयत्न बनाए रखें।


Conclusion 


कलियुग में भगवान को प्राप्त करने के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस युग की विशेषताएँ और चुनौतियाँ क्या हैं, और किस प्रकार के प्रयास किए जा सकते हैं। ऊपर कुछ और तरीके हैं जो इस संदर्भ में मदद कर सकते हैं।


ऊपर दिए उपायों को अपनाकर, कलियुग में भी आध्यात्मिक उन्नति और भगवान की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपने आंतरिक संघर्षों और बाहरी परिस्थितियों से परे जाकर अपने आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ता रहे।


आशा है आपको ये आर्टिकल पढ़कर अच्छा लगा होगा।अगर सच में आप इस आर्टिकल को पढ़कर कुछ नए जानकारी पाए हैं या आपको ये आर्टिकल बोहोत ही सहयता की तो आप इस आर्टिकल सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें ताकि और लोगो को भी ये जानकारियां आसानी से पता चल सके।


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तो आजके लिए इतना ही आपसे फिर मुलाकात होगा एक नए और Knowledgefull पोस्ट के साथ।तब तक के लिए खुश रहिए और मजे में रहिए।

                           जय हिंद

                                 बंदे मातरम