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Globe क्या है? ग्लोब के आविष्कार,ग्लोब के लाभ,ग्लोब के प्रकार ओर भी जानकारी हिंदी में।

 नमस्कार दोस्तो!

आप सबको फिर से एक नए आर्टिकल में स्वागत है।
आज इस ब्लॉग में पहले बार किसी ऐसे विषय के उपर बात करने वाले हैं जो शायद इस ब्लॉग कभी भी नहीं लिखा गया होगा।

ये शायद पहली बार इस ब्लॉग में लिखा जा रहा होगा।

आज हम इस ब्लॉग में पहली बार  Geography यानी भूगोल के विषय पर एक आर्टिकल पढ़ने वाले हैं।

आपने शायद देख ही लिए होगा कि आज का भूगोल का टॉपिक क्या है।

आज हम ग्लोब के बारे काफी गहराई से जानने वाले है।

 ग्लोब भूगोल से सम्बन्धित होने के कारण ये आर्टिकल उस तरह से इस ब्लॉग में पहली आर्टिकल हैं।

आज हम ग्लोब के विषय में बोहोत कुछ जानने वाले हैं जो शायद ही आपने कभी कहीं पढ़ा होगा।

So Let's start !


Globe क्या है?

ग्लोब के चित्र,ग्लोब क्या है
Globe के बारे में पढ़े!

ग्लोब एक तरह से पृथ्वी कि छोटा कृत्रिम model  है जो आपको स्कूल,कॉलेज,सरकारी संस्था आदि जगह देखने को मिल जाएगा।

जैसे हमारे पृथ्वी Sphere है वैसे ही Globe को भी बनाया जाता है।

ओर तो ओर जैसे हमारे पृथ्वी 66½ डिग्री झुके हुए रहता है वैसे ही Globe को भी बनाया जाता है।

ग्लोब को खास तर पे Scale के मदद से बनाया जाता है।क्योंकि इतने बड़ा पृथ्वी को एक छोटी से ग्लोब में दिखाने के लिए स्केल का जरूरत पढ़ता है।
जैसे कि किसी 1m सड़क को आप 1 cm मानके Drawing करें तो इसमें scale 1:100 आता है।
इसी तरह बड़ी चीज जैसे पृथ्वी को एक छोटे से ग्लोब में दिखाने के लिए Scale का मदद लिया जाता है।

ग्लोब को पृथ्वी जैसे घूमने वाला भी बनाया जाता है ताकि कोई भी इसे घुमा सके किसी भी महत्वपूर्ण चीज को जानने के लिए।

इन चीज़ों के लिए ग्लोब स्टूडेंट के बीच में बोहोत ही फेमस है।

ग्लोब में कोन कोन सी चीज़ सामिल किया जाता है?


बताते चले ग्लोब में बोहोत से चीज़े सामिल है जिसको पढ़के कोई भी ये जानकारियां हासिल कर सकता है।

उसमे है

Countries & Borders


ग्लोब में आपको ये जरूर देखने को मिल जाएगा। कोन कोन से कंट्री कि बोर्डर कोन कोन से देश से लगती है वो आप आसानी से जान सकते हैं।

ओर तो ओर कोन से कंट्री कैसे दिखती है यानी किसी देश की मानचित्र कैसा है ये भी आप इससे देख सकते हैं।

हालांकि मानचित्र ओर ग्लोब में थोड़ा अंतर होता है जो हम आगे पड़ेंगे।

Countries Capital & Important Towns


ग्लोब से आप किसी भी देश की राजधानी ज्ञात कर सकते हैं।

ओर तो ओर आप किसी देश की महत्वपूर्ण शहर के नाम भी जान सकते हैं।

जैसे कि आप India कि राजधानी Delhi को ओर तो ओर प्रमुख शहर जैसे Mumbai,कोलकाता,चेन्नई,अहमदाबाद,लखनऊ आदि को ग्लोब में देख सकते हैं।

किसी भी देश की राजधानी ओर प्रमुख शहर के नाम आसानी से ये ग्लोब से पता कर सकते है जो किसी के भी Study में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

Rivers यानी नदियां


ग्लोब से किसी देश प्रमुख नदियों के भी जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।

ओर तो ओर वो नदियां कहां से निकलकर कहां जा के पड़ती है वो भी जानकारी आप ग्लोब से पा सकते है।

ऐसे में ये आपके study के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

महत्वपूर्ण महासागर ओर सागर


आपको ग्लोब से महत्वपूर्ण सागर ओर उपसागर के बारे में जानकारी मिल सकता है।

महासागर में जो जो आप देख सकते हैं उसमे  हिन्द महासागर,आर्कटिक महासागर, दक्षिण महासागर,उत्तर प्रशांत महासागर,दक्षिण प्रशांत महासागर,उत्तर अटलांटिक महासागर,दक्षिण अटलांटिक महासागर आदि प्रमुख।

सागर,जो जो आप देख सकते हैं उसमे अरब सागर,बंगौपसगर,कोरल सागर,जापान सागर,फिलिपीन सागर,उत्तर चीन सागर,दक्षिण चीन सागर,कैरीबियन सागर,लैब्राडोर सागर,ग्रीनलैंड सागर, कारा सागर, लप्टेव सागर,स्कोटिया सागर,बेरिंग सागर आदि ओर भी प्रमुख सागर को आप देख सकते है।

भूमध्य रेखा देशान्तर रेखा


ग्लोब में आपको भूमध्य रेखा ओर देशान्तर रेखा भी देखने को मिल जाएगा।

बताते चले भूमध्य रेखा उसको कहा जाता है जो पृथ्वी को एक उत्तर ओर दक्षिण में बांटती हैं।ये रेखा Tropic of cancer ओर Tropic of capricon के बीच में स्तिथ हैं।

देशान्तर रेखा उसको कहा जाता है जो पृथ्वी को पश्चिम ओ पूरब में बांटता है।
ये लंदन के ग्रीनिच शहर के ऊपर से गुजरती हैं।

आप ग्लोब में देख पाएंगे भूमध्य रेखा पृथ्वी कि कोन कोन से देश के ऊपर से हो कर गया है। ओर तो ओर कोन कोन से देश से हो कर देशान्तर रेखा गुजरती है ये जानकारी भी ले सकते हैं।

नॉर्थ पोल ओर साउथ पोल


ये दोनों ही पृथ्वी के उत्तर दिशा में मोजूद अंतिम छोर ओर दक्षिण दिशा में मोजूद अंतिम छोर है।

कड़कड़ाती ठंड इस अंचल का मशहूर जलवायु है।

आप ग्लोब में नॉर्थ पोल ओर साउथ पोल को आसानी से देख सकते है।

उत्तर की अंतिम छोर के ज्यादातर हिस्सा समुंदर से घिरी हुई होती है।
जबकि दक्षिण के अंतिम छोर अंटार्कटिका के नाम से मोशुर है।
ये अंटार्कटिका बैज्ञानिकों के लिए काफी पसंदीदा जगह है।
बैज्ञानिक ज्यादातर उहानपर summer के महीने खोजबीन करने के लिए जाते हैं।

ग्लोब में ओर भी बोहोत से छोटी से छोटी जानकारी रहता है जो हर छात्र ओर छात्राओं के लिए उत्तम माना जाता है।

ग्लोब का आविष्कार कब हुआ?


ग्लोब के इतिहास बोहोत ही पुरानी मानी जाती हैं।

ग्लोब शब्द लैटिन के शब्द से बनाया गया है।
उस लैटिन शब्द का नाम Globus है।

Globus का लैटिन में मतलब होता है गोलाकार।
पृथ्वी को भी स्पेस से देखने से गोलाकार ही लगता है इसलिए इसे ग्लोब कहा जाता है।

ऐसा कहा जाता है पहला टेरेस्ट्रियल ग्लोब 1492 में मार्टिन बेहैम ने बनाया था वो भी Georg Glockendon नाम वाले एक पेंटर के मदद से।
मार्टिन बेहैम पैशे से एक मानचित्र त्यार कर्ता,नविगेटर ओर एक नाविक थे।
जर्मनी के नुएंबर्ग शहर में वो काम करते थे।

मार्टिन बेहैम अपने ग्लोब के नाम "Nürnberg Terrestrial Globe" रखे थे।जबकि बे अभी Erdapfel के नाम से जाना जाता है।

ग्लोब कितने प्रकार का होता है?


अगर की ग्लोब की प्रकार कि बात की जाए तो ये दो प्रकार का होता है।

इन दोनों प्रकार है
             1)Terrestrial Globe
             2) Celestial Globe

पहले जान लेते हैं Terrestrial Globe के बारे में।

पृथ्वी जैसा ही जो ग्लोब बनाया जाता है उसिकों Terrestrial Globe कहां जाता है।जिसमें आप प्रतेक देश के बारे में,नदियां,प्रमुख शहर latitude ओर longitude के बारे में जानकारी पा सकते हैं।

ओर एक celestial ग्लोब उल्लेखनीय सितारों को दिखाता है।
और तो और आप celestial ग्लोब में अन्य प्रमुख खगोलीय पिंडों की स्थिति को भी देख सकता है।

ग्लोब के ये दो ही प्रकार प्रमुख है हालांकि  ओर भी तरह के ग्लोब मोजूद हो सकता है।

ग्लोब ओर मानचित्र में क्या अंतर है?


ये सवाल गूगल में शायद बोहोत बार पूछा जाता होगा। ये सवाल हमे बोहोत बार कन्फ्यूजन में डाल देता है।

असल में ग्लोब ओर मानचित्र बनाने के मकसद एक ही है ओर वो है विश्व के बारे में जानना।

लिकिन फिजिकली ग्लोब ओर मानचित्र में बोहोत बड़ा डिफरेंस होता है।

ऐसा नहीं कि दोनों Scale के मदद से नहीं बनाया जाता है।फिर भी इं दोनों में थोड़ा अंतर होता है।

ग्लोब को आप Three Dimensional Figure कह सकते हैं जब की मानचित्र Two Dimensional होता है।

ग्लोब को ऐसे बनाया जाता है ताकि ये पृथ्वी के तरह लगे जबकि मानचित्र में ऐसा नहीं होता है।हालांकि मानचित्र में आप ग्लोब के जैसा ही सब कुछ देख सकते है।

ग्लोब हमेशा 66½ डिग्री झुके हुए रहे, ऐसा बनाया जाता है ताकि ये पृथ्वी के तरह ही लगे।लिकिन मानचित्र में ऐसा नहीं देखा जाता।

ओर तो ओर ग्लोब को पृथ्वी के जैसा ही आप घुमा सकते हैं जबकि मानचित्र में ये संभव नहीं है।

हालांकि इतने अंतर होने के बाद भी इन दोनों के मकसद में कोई अंतर नहीं रहता।

इसलिए Study के दृष्टिकोण से ग्लोब ओर मानचित्र दोनों के ही विशेष महत्व है।
 

ग्लोब का क्या लाभ है?


ग्लोब से एक नई बल्कि बोहोत से चिजो के बारे में जानने को मिलता है जो खास कर स्टूडेंट के लिए काफी फायदेमंद होता है।

ग्लोब के जरिए हम किसी भी जगह का नाम आसानी जान सकते हैं अतः ग्लोब नए नए जगह का नाम जानने के लिए भी ये बोहोत ही ज्यादा मदद करता है।

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भूगोल विषय को समझने भी अप्रत्क्ष रूप से ग्लोब बोहोत ही मदद करता है।

मानचित्र कि जैसे ही ग्लोब की महत्व होता है।

इसलिए ग्लोब आपको कहीं भी प्रमुख जैसे स्कूल,कॉलेज,सरकारी दफ्तर में देखने को मिल जाएगा।

ग्लोब के संबंधित प्रश्न


1)सबसे पहले ग्लोब कितने साल पहले बना था?

उत्तर:- सबसे पहले ग्लोब 1492 में बनाया गया था।

2)ग्लोब के निर्माता कोन है?

उत्तर:- मार्टिन बेहैम।

3)ग्लोब किसका प्रतिरूप है?

उत्तर:- ग्लोब पृथ्वी का ही प्रतिरूप है।

Conclusion


तो कैसा लगा आपको ग्लोब के बारे में पढ़के।

ग्लोब क्या है ये सवाल के उत्तर अब आप समझ चुके होंगे।

इस पोस्ट में ग्लोब से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारियां भी दिया गया है ताकि आप को पूरा जानकारी ग्लोब के बारे में मिल सके।

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तो आज के लिए इतना हो आपसे फिर मुलाकात होगा एक नए ओर knowledgefull पोस्ट के साथ।तब तक के लिए खुश रहिए,मजे में रहिए ओर हां अवश्य Mask पहने ओर अपने हाथ को बार बार sanitize करे।
                             जय हिन्द
                                   बंदे मातरम