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हिंदी के जनक कोन है? Who is the Father of Hindi Literature?

नमस्कार दोस्तो आप सबका स्वागत है एक और ज्ञानवर्धक पोस्ट में। आशा है आप अच्छे होंगे और अपने परिवार का भी ख्याल रख रहे होंगे। 

क्या आप एक छात्र हैं या आपको साहित्य में interest है। तो आपको ये लेख अबश्य ही पढ़ना चाहिए क्विनकी आज इस लेख में हम ये जानने वाले हैं की हिंदी साहित्य तथा हिंदी भाषा के जनक किसे कहाँ जाता हैं। 
वैसे ये आपको पता ही चल चुका ही होगा की आजके आर्टिकल में हम किस बारे में बात करने वाले हैं। 

अगर आपको हिंदी भाषा में रुचि है तो आपको ये जानकारी जरूर पढ़ना चाहिए। या फिर अगर आप एक भारतीय हैं तो भी आपको ये जानकारी जरूर पढ़ना चाहिए। क्विनक्की हिंदी हमारा एक राष्ट्र भाषा है। 

ओर तो ओर हिंदी भाषा हमारे संबिधान में दिए हैं 22 भाषाओं में एक है। जो आपको पहले से ही पता होगा। 

ऐसे में अगर आपको जानना है की हिंदी के जनक किसे कहाँ जाता है तो आपको ये पूरी आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए। 
तो चलिए शुरू करते हैं आजके टॉपिक को।


हिंदी के जनक कोन है?

हिंदी के जनक कोन है
हिंदी साहित्य के जनक

हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाला एक भाषा है। जिसे शायद आप भी बोलते होंगे। भारत में ज्यादातर क्षेत्र में इंग्लिश के साथ साथ हिंदी को भी आधिकारिक तर पर इस्तमाल किया जाता है।

दोस्तो बंगाली साहित्य के तरह ही हिंदी साहित्य का एक स्वर्णिम इतिहास रहा है। जिसे शायद हम आज किताबो में भी पढ़ते हैं। 
हिंदी साहित्य ऐसे ऐसे बोहोत से कबि आये जिसने हिंदी साहित्य को एक शिखर पर ले गए। उन्ही कबि में से एक है जिसको आज भी modern hindi literature का जनक भी कहाँ जाता है। 
आजके समय में उनको वैसे सब ही जानते हैं, लिकिन अगर आपको उनके बारे पता नही तो ये लेख है ना!

जी हैं दोस्तो आप आगे उन कबि के नाम ओर उनके बारे में विस्तार से जान जाएंगे। लिकिन यहां आपसे एक गुजारिश है की आप Saraisay को जरूर सोशल मीडिया में फॉलो करले ताकि आपको आगे ऐसे ही आर्टिकल की जानकारी तुरंत मिल सके। 
खेर बढ़ते हैं आगे आजके मुख्य टॉपिक को ओर। 

हिंदी के जनक के नाम


दोस्तो आपको बता दे की हिंदी साहित्य का जनक बनारस में जन्मे भारतेंदु हरिश्चन्द्र को कहाँ जाता है। इन्होंने ही हिंदी साहित्य में पहलीबार आधुनिकता के ऊपर अपनी रचनाएँ लिखी थी। ओर इसी के कारण इन्हें ही Father of modern hindi literature कहाँ जाता है।  
  
वो उस समय के बोहोत बड़े कबि थे। ओर तो ओर उनका योगदान हिंदी पत्रकारिता,नाटक ओर काब्य के क्षेत्र में भी रहा। 

आपको बता दे की उन्होंने नाटक लिखने की सुरवात एक बंगाली नाटक की अनुबाद से की थी,जिसका नाम है बिद्यासुन्दर। 

बताते चले की भारतेंदु एक उपाधि है जो उनको काशी के scholars ने दिया था,उनका असली नाम है हरिश्चन्द्र। 

भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्मपरिचय


महान कबि भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितंबर 1850 को बनारस में हुआ था। उनके पिता का नाम था गोपालचंद्र,जो की एक कबि थे। वो गिरधर दस उपनाम से कबिता लिखा करते थे। 
कहाँ जाता है की भारतेंदु हरिश्चन्द्र का पूर्बज बंगाल में जमींदार थे। 

करीब 1865 में वो अपने परिबार के साथ पूरी के जगन्नाथ मंदिर गए थे। उन यात्रा के दौरान वो बंगाल के नबजागरण से काफी प्रभाभित हुए थे। 

जिसके फल स्वरूप उन्होंने 1868 में बंगाली नाटक विद्यासुन्दर का हिंदी अनुबाद किया था। 

18 के बर्ष की अबस्था में उन्होंने कबिबचनसुधा नामक पत्रिका निकली थी जिसमे तब की समय में बड़े बड़े विद्वानों की रचनाये छापा करती थी। ओर तो ओर उन्होंने 1873 में हरिश्चंद्र मैगज़ीन,ओर 1874 में बाला बोधिनी नाम से स्त्री शिक्षा के लिए पत्रिका निकालि थी। 

बताते चले की वो वैष्णव भक्ति का प्रचार प्रसार भी करते थे। ओर तो ओर उन्होंने प्रचार को ओर मजबूर करने के लिए तदिय समाज का भी स्थापना की। 

भारतेंदु हरिश्चन्द्र के कुछ प्रमुख कृतियाँ


भारतेंदु हरिश्चन्द्र के कुछ प्रमुख नाटक है
  •  बैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, 
  • सत्य हरिश्चन्द्र, 
  • श्री चन्द्रावली, 
  • बिषष्य बिशमौषधम, 
  • भारत दुर्दसा, 
  • अंधेरी नगरी, 
  • प्रेमजोगिनी,
  •  नीलदेवी,
  •  सती प्रताप। 
इसमे से सबसे लोकप्रिय नाटक है अंधेरी नगरी। 

ओर भी ऐसे बोहोत कार्य कृतियाँ हैं जिसके लिए भारतेंदु हरिश्चन्द्र को याद किया जाता है। खास कर उनके द्वारा ऐसे बोहोत से काब्य ओं को हिंदी अनुवाद किया गया जो की आज भी काफी मशहूर हैं। 

आपको बता दे की भारत के Ministry of informatics and broadcasting 1983 से हिंदी में original ओर creative लेखन को बढ़ावा देने के लिए भारतेंदु हरिश्चन्द अवार्ड्स प्रदान किया जाता है। 

बताते चले की भारतेंदु हरिश्चन्द्र हिंदी साहित्य के जनक कहे जाने के साथ साथ उन्हें Father of hindi Theatre भी कहाँ जाता है। 
उन्ही के नाम से एक नाट्य अकादमी भी है जो लखनऊ में स्थित है। भारतेंदु नाट्य अकादमी उत्तरप्रदेश सरकार की ministry of culture के द्वारा संचालित होता है। 

हिंदी के जनक से जुड़ी कुछ सवाल जबाब


1) हिंदी के जनक किसे कहाँ जात है?

उत्तर:- हिंदी साहित्य के जनक ओर हिंदी थिएटर के जनक भारतेंदु हरिश्चन्द्र को कहाँ जाता है।

2)भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर:- उनका जन्म आजकी उत्तरप्रदेश की बनारस में हुआ था। 

3)भारतेंदु हरिश्चन्द्र को भारतेंदु उपाधि किस के द्वारा दी गईं थी?

उत्तर:- उनको ये उपाधि काशी के विद्वानों के द्वारा दी गयी थी। 

Coclusion


इस आर्टिकल में आपको भारतेंदु हरिश्चन्द्र के बारे मे विस्तार से जानकारी दी गयी है।  आशा है आपको ये आर्टिकल पढ़कर अच्छा लगा होगा।

ऐसे में आपसे यही कहना की अगर आपको ये आर्टिकल थोड़ा सा भी ज्ञानवर्धक लगा हो तो जरूर इसे सोशल मीडिया में शेयर करें।ताकि औरों को भी इसके बारे में पता चल सके।

ऐसे ही Knowledgefull आर्टिकल को पढ़ने के लिए SaRaisay को सोशल मीडिया में जरूर फॉलो करे।ताकि आप तक नोटिफिकेशन पौंछ ती रहे।

तो आज के लिए इतना ही आपसे फिर मुलाकात होगा एक नए ओर knowledgefull पोस्ट के साथ।तब तक के लिए खुश रहिए,मजे में रहिए ओर हां अवश्य Mask पहने ओर अपने हाथ को बार बार sanitize करे।
                             जय हिन्द
                                     बंदे मातरम